चित्रकूट के घाट पर भई सन्तन की भीड़।

चित्रकुट के घाट पर भइ सन्तन की भीड़।
तुलसीदास चन्दन घिसे तिलक देत रघुबीर।।

तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का हिन्दू धर्म मे बहुत महत्व है।
पर रामचरितमानस लिखने के पीछे बड़ी रोचक कथा है।
तुलसीदास ने जब रामचरितमानस लिखने की कोशिश की तो वे जितना लिखते उतना रात को मिट जाता था।
तब कुछ लोगो ने उनसे कहा रामचरित मानस लिखने से पहले तुम्हे प्रभु श्री राम से आज्ञा लेनी पड़ेगी।
तब तुलसीदास के सामने एक और समस्या खड़ी हो गयी ।

अब राम कहा मिलेगे।
तब कुछ लोगो ने उपाय बताया की राम जी का पता हनुमान बता सकते है। आप हनुमान से मिलो ।
अब हनुमान कहा मिलते ।बहुत कोशिश की पर नही मिले।
अंत मे उन्हें कही से एक दन्तकथा सुनी जिसमे ऐ कहा गया था की  शौच के बाद बचे हुए जल को किसी बबूल के बृक्ष मे 21 दिन तक डालने पर 22 वे दिन भूत निकलेगा उससे जो कहोगे ओ पूरा करेगा
तब तुलसीदास जी ने यही कार्य किया।
जब भूत उनके सामने प्रकट हुआ तो उन्होंने प्रभु श्री राम से मिलने की इच्छा जताई ।
तब भूत ने राम से मिलने मे असमर्थता जताई और बिकल्प के रूप मे हनुमान से मिलाने को कहा। तुलसी दास ने सहमति जताई।
ततपश्चात भूत ने तुलसीदास को  हनुमान से मिलवाया।
जब तुलसीदास ने हनुमान से राम जी से मिलने की बात कही तो उन्होंने बताया की चित्रकूट के मेले मे राम प्रभु के आने की बात कही।
तुलसीदास चित्रकूट के मेले मे पहुचे और खुशी से बिभोर होकर चन्दन घिसने लगे।
प्रभु राम आये और तुलसीदास को चन्दन लगा कर चले गए।
जब लोगो ने तुलसीदास को चंदन लगने के बावजूद घिसते देखा तो हसने लगे तब तुलसीदास को दुबारा प्रभु श्री राम के दर्शन हुए।
जय श्री राम

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें