बिचार कैसे कैसे


बिचार--
            जो कही भी कभी भी किसी भी जगह जन्म ले सकते है।
सूखे पेड़ को देखकर खिले फूलो को देखकर बच्चे बूढे या इस धरती पर मौजूद हर चीज से चाहे ओ सजीव हो या निर्जीव।
 बिचार हमेशा अच्छे हो ये जरूरी नही बिचार ब्यक्ति के स्वभाव पर निर्भर करता है। जैसा ब्यक्ति वैसे बिचार।
 बिचारो से याद आया बचपन मे मैंने किताब मे पढ़ा था। चार अंधे थे जिन्होंने एक हाथी पकड़ा था । चारो ने हाथी के अलग अलग अंग पकड़े थे।
 उनमे से एक ने हाथी का सुड़ पकड़ा था तो उसने कहा हाथी लम्बा बेलनाकार होता है।
दूसरे ने कहा जो हाथी के पैर पकड़े हुए था बोला नही हाथी खम्बे की तरह होता है।
तीसरा जो हाथी का पेट पकड़े था ओ बोला नही हाथी गोल और भारी होता है। चौथा बोला जो हाथी की पुछ पकड़े था नही हाथी रस्सी की तरह होता है।
ये तो थे अन्धो के बिचार
 एक वस्तु पर कई तरह के बिचार कई तरह के लोगो द्वारा ब्यक्त होते है।
 जैसे खूब सूरत मन्दिर को देखकर भक्त के मन मे अपार खुशी और अच्छे बिचार जन्म लेते है। एक चोर मन्दिर को देखता है उसके अंदर चोरी करने का बिचार जन्म लेता है ।
एक इंजीनियर मन्दिर की कला और डिजाइनिंग पर बिचार जन्म लेता है।
 अंततः बिचारो से ऐ ज्ञात होता है । बिचार कभी मरते नही हमेशा नए बिचारो का जन्म होता रहता है।
 ब्लॉग भी बिचारो को ब्यक्त करने का एक माध्यम है मेरे बिचार सही है या गलत ये आपके बिचारो पर निर्भर करता है।

दीपक कुमार गुप्ता।


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