जीवनपथ पर चलते रहना ही जिंदगी है।
जीवन नदी की धारा की तरह होता है जो हमेशा गतिमान रहता है जिसमे कई उतार चढ़ाव देखने को मिलते है। जो रुक जाता है ओ सुख जाता है सड़ जाता है जो चलता रहता है वही अपनी मंजिल को पाता है जिस तरह नदी की धारा निरन्तर चलते हुए एक दिन सागर से जा मिलती है उसी तरह हम निरन्तर परिश्रम करते रहे तो एक न एक दिन मंजिल हमे मिल जायेगी
क्योकि
मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती।
जीवन नदी की धारा की तरह होता है जो हमेशा गतिमान रहता है जिसमे कई उतार चढ़ाव देखने को मिलते है। जो रुक जाता है ओ सुख जाता है सड़ जाता है जो चलता रहता है वही अपनी मंजिल को पाता है जिस तरह नदी की धारा निरन्तर चलते हुए एक दिन सागर से जा मिलती है उसी तरह हम निरन्तर परिश्रम करते रहे तो एक न एक दिन मंजिल हमे मिल जायेगी
क्योकि
मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें