भारतीय संस्कृति मे लज्जा को औरत का गहना माना जाता है। पर भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी सभ्यता का बहुत गहरा असर पड़ा है। उसकी झलक गावो मे कम शहरो मे ज्यादा देखने को मिलती है। जीन्स पैंट टी शर्ट आखो पर चश्मे लड़के तो कम लडकिया ज्यादा पहनने लगी है।
बात यही तक सीमित नही रही आप किसी भी पार्क मे जाकर देखो किस तरह लाज हया शर्म छोड़ कर लड़के लडकिया एक दूसरे से लिपटे हुए मिलेगे
आज कल बढ़ते अपराधो के पीछे कही ना कही इन्ही सब बातो का हाथ है।
गलती उनकी नही है इस गलती के जिम्मेदार कही न कही उनके मा बाप भी है।
बिना अंकुश का हाथी और बिना अनुसाशन का समाज बिनाश की तरफ जाता है।
पहले सयुक्त परिवार हुआ करते थे जिनमे बड़े बुजुर्ग बच्चों को बचपन मे ज्ञान वाली बाते कहानियो के माध्यम से सुनाते थे। पर आज के एकाकी परिवार और बच्चों पर ध्यान न देना भी इसी का हिस्सा है।
कहा गयी भारतीयता क्या आज की भाग दौड़ मे हम इतने ब्यस्त हो गए है की आप अपने बच्चों के साथ दो पल नही बिता सकते बच्चा क्या कर रहा है बेटी ककिस से मिल रही है। क्या इन बातो से हमे कोई फर्क नही पड़ता।
अंजाम चाहे जो भी हो पर आने वाला कल बहुत ही भयानक होगा। जिसमे रिश्तों की ममर्यादाये टूट जायेगी।
तब होगा महा बिनाश जिसके जिम्मेदार आप खुद होंगे।
बात यही तक सीमित नही रही आप किसी भी पार्क मे जाकर देखो किस तरह लाज हया शर्म छोड़ कर लड़के लडकिया एक दूसरे से लिपटे हुए मिलेगे
आज कल बढ़ते अपराधो के पीछे कही ना कही इन्ही सब बातो का हाथ है।
गलती उनकी नही है इस गलती के जिम्मेदार कही न कही उनके मा बाप भी है।
बिना अंकुश का हाथी और बिना अनुसाशन का समाज बिनाश की तरफ जाता है।
पहले सयुक्त परिवार हुआ करते थे जिनमे बड़े बुजुर्ग बच्चों को बचपन मे ज्ञान वाली बाते कहानियो के माध्यम से सुनाते थे। पर आज के एकाकी परिवार और बच्चों पर ध्यान न देना भी इसी का हिस्सा है।
कहा गयी भारतीयता क्या आज की भाग दौड़ मे हम इतने ब्यस्त हो गए है की आप अपने बच्चों के साथ दो पल नही बिता सकते बच्चा क्या कर रहा है बेटी ककिस से मिल रही है। क्या इन बातो से हमे कोई फर्क नही पड़ता।
अंजाम चाहे जो भी हो पर आने वाला कल बहुत ही भयानक होगा। जिसमे रिश्तों की ममर्यादाये टूट जायेगी।
तब होगा महा बिनाश जिसके जिम्मेदार आप खुद होंगे।
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