अपना अपना हिस्सा है

इस धरती के निर्माण में हर जीव का हिस्सा है। चाहे वो बड़े से बड़ा जीव हो या छोटे से छोटा जीव यानि चीटी ही क्यों ना हो।    
पेड़ पौधे जीव जन्तु इन्सान पहाड़ नदी झील झरने तालाब ये सब उस ईश्वर की दें है  ईश्वर ने इन सब को क्यू बनाया किसलिए बनाया इसके पीछे उसका क्या उद्देश्य रहा होगा ये तो वही जाने पर शायद इसलिए बनाया ताकि धरती पर संतुलन बना रहे यानि इस धरती पर हर जीव का अधिकार है रहने का जीवन जीने का।
लेकिन अब इन सब पर इन्सान भारी पड़ने लगा है जो जीवो को मर रहा है पेड़ो को कट रहा है नदियों तालाबो झील झरनों  की रुपरेखा को बदल रहा है  लेकिन ये ठीक नही ये प्रकृति के नियम के खिलाफ है। और शायद तभी प्रकृति बार बार आंधी तूफान भूकम्प बाढ़ सुखा के माध्यम से इंसानों को संदेश देती है की तुम कितने भी आविष्कार क्यों क्यों ना कर लो कितने आगे क्यों ना बढ़ जाओ प्रकृति की मार के आगे तुम कुछ नही हो ।
लेकिन इन्सान हर बार इसे अनदेखा कर के प्रकृति को हर बार चुनौती देता आ रहा है।
इन्सान भले ही इसे अनदेखा कर दे लेकिन प्रकृति उन्हें कभी माफ  नही करेगी जब प्रकृति अपना बिध्वंस कारी रूप दिखायेगी तब पता चल जायेगा की ईश्वर की विरासत के साथ खिलवाड़ करने का क्या नतीजा निकलता है
अब तो सुधर जाओ जीवो पर दया करो पेड़ लगाओ
और प्रभु श्री राम का भजन गाओ
क्योकि संसार के सारे दुखो का तोड़ इस नाम में है
तो शुरू करो
श्री राम जय राम जय जय राम

दीपक कुमार गुप्ता






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