शिक्षा का ब्यापार

आज के समय मे शिक्षा का बहुत महत्व है आज कल शिक्षा एक बिजनेस हो गया है। जहा भी देखो एक शिक्षा की दुकान खोले बैठे है।
पर कुछ साल पहले ऐसा नही था।
एक वो भी जमाना था। जब हम लोग मिट्टी पर लिखना सीखते थे आगे चलकर पटरी जो लकड़ी की बनी होती थी उस पर लिखते थे। मोती जैसे अक्षर तो उसी पर दिखते थे।
पढ़ाई के द्वारा ज्ञान पूर्ण बाते सुलेख के माद्यम से लिखाई जाती थी। और फिस भी बीस आने लगती थी। कक्षा 5 के बाद ही कलम से लिखाई होती थी।
और आज की शिक्षा इतनी महगी है की पूछो मत।
बच्चों का एडमिशन 10 हजार रुपए डोनेसन आने जाने के लिए गाड़ी खर्च एक तरह से सब पैसे का खेल है। ।
बच्चा 10 किलो का नही हुआ उस पर 20 किलो का बस्ता दे देते है।
बचपन क्या है उसे पता ही नही।
बेचारे ने जैसे ही चड्डी पहनना सीखा मा बाप ने स्कूल का रास्ता दिखा दिया।
जो उम्र खेलने कूदने की है उसी उम्र मे पढ़ाई का बोझ। जिसकी वजह से बच्चों का शारीरिक और मानसिक बिकास भलीभाँति नही हो पा रहा है।
हमारे बचपन मे पढ़ाई नही होती थी। ओ बचपन नानी की कहानियो और खेलकूद मे बिताते थे। ना इतनी भागदौड़ थी ना ही टेंशन।
पर आज के लोगो को हो क्या गया है।
हमारे समय मे प्राइमरी पाठशाला ही बेस्ट थी। पर आज के समय मे हर दो कदम पर एक इंग्लिश मीडियम स्कूल मिल जायेगा। हिन्दी नही क्यो लोग अपनी मातृभाषा पढ़ना नही चाहते क्यो अंग्रेजी के पीछे भागते रहते है।
पता नही क्या होगा पर जो भी होगा बहुत भयानक होगा

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