जहा धर्म है वहा बिज्ञान नही और जहा बिज्ञान है वहा धर्म की जरुरत नही
बिज्ञान की भाषा म धर्म ईश्वर अन्धबिश्वास है लेकिन अब बिज्ञान भी धर्म
की किताबो और बेदो पर शोध कर रहा है भारतीय धर्मशास्त्र वास्तव मे एक
बिज्ञान ही है जो अबिस्कार हमारे रीशी मुनियो ने करोडो साल पहले कर लिया
था वो आज हो रहा है सदियो पहले जब हमारे यहा पुजा पाठ होता था तब नौ
ग्रहो की पुजा होती थी जिसे बिज्ञान ने सिध्द किया डीएनए से बीमारी का
इलाज करने की बिधि सदियो पहले बोधिधर्मन ने लिखा था जिसे बिज्ञान ने
सिध्द किया
मन्त्र मे ॐ का जाप करते है और इसे श्रीष्टी के निर्माण का आधार मानते है
जिसे बिज्ञान ने बताया की ब्रम्हांड मे गुजने वाली आवाज ओम ही है
धर्मशास्त्र अगर अधबिश्वास तो बिज्ञान क्यो उसमे लिखी बातो को मान रहा है
सवाल भारतीयो से है जब हमारे पास ज्ञान बिज्ञान का भडार भरा है तब हम
क्यो बिदेशो मे पढ रहे है जो चमत्कार गीता के ज्ञान मे है वह किसी मे नही
जब पुरी दुनिया मौत के मुख मे जाने के लिए खडी होगी बिनाश के मुहाने पर
होगी तब भारतीय सस्कृति ही उसे बचायेगी तो अपनी सस्कृति को जानो मार्डन
ना सही पुरानी सही ओल्ड इज गोल्ड
क्या बोधिधर्मन की डीएनए से बीमारी के इलाज की कोई पुस्तक नहीं है
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