कोई माने या न माने ये कहानी नही वरन सत्य है की मत्स्य मानव होते है। 1962 में क्यूबा की अमेरिकी घेराबन्दी के समय हथियारों और परमाणुविक शस्त्रो से सुसज्जित रुसी युद्धक विमान समुद्र में गिरा था। खोज में उस समय मलबा तो मिला नही किन्तु एक अद्भुत प्राणी समुद्र में तैरता हुआ उस दल को अवस्य नजर आया। वह समुद्र की तलहटी में एक मछलीनुमा त्वचा एवं प्रवित्तियो वाला दो फुट लम्बा मानव बालक था। जिसे मत्स्य बालक कहा जा सकता था। पूरा दल ही चकित रह गया ।
काला सागर के निकटवर्ती किसी अज्ञात क्षेत्र में इस मत्स्य बालक का शारीरिक अध्ययन किया गया। बैज्ञानिक डॉ एथन बिनोग्रेड के कथानुसार इस मत्स्य बालक ने आज इतिहास बन चुके एटलंटिस नगर की भी विस्तृत जानकारी दी और स्वय को उसी नगर का निवासी बताया । समुद्र की अतल गहराई में आज भी संगमरमर और मूंगे से बने भब्य भवन है और जगमगाते नगर में लगभग साठ हजार मत्स्य मानव है। वहा लोग दुःख बीमारी चिंता से सब मुक्त है। और तीन सौ वर्षो तक मजे से जीते है। मत्स्य मानव के रूप में धरती पर आते है। और यहा के निवासियो के बीच रहकर यहा की प्रगति के बारे में वहा सूचनाये भेजते रहते है।
इस मत्स्य बालक ने यह भी चेतावनी दी की यदि मुझे जल्दी समुद्र में नही छोड़ोगे तो हमारे लोग तुम्हारे देश को तबाह कर देगे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें