मजबूरी बनी मजदूरी

हम मेहनतकस इंसान दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेगे 
एक बाग नही एक खेत नहीं हम सारी दुनिया मांगेगे।

मजदूर का दर्द 
आपने कभी किसी मजदूर को तपती धुप में जलकर बारिश में भीग कर जाड़े में ठिठुर कर काम करते हुए देखा है। तो क्या सोचते है की वह पैसे के लिये काम कर रहा होगा। पर मैं कहता हु नही वह पैसे के लिए नही बल्कि मजबूरी के कारण काम कर रहा है ।
ये मजबूरी बनी मजदूरी की वजह।

मैंने अपनी कोलकाता यात्रा के दौरान मजदूरो की पीड़ा को महसूस किया जो लोग अपना घर छोड़ कर कमाने आये थे। मजदूर ककेवल एक समय भोजन वो भी रात में बनाते थे क्योकि सुबह खाना बनाने का मौका नही मिलता ।
सुबह के 4 बजते ही मजदूर लोग जाकर रोड किनारे बैठ जाते थे वही से उन्हें कम कराने वाले ले जाते थे अगर लेट हुए तो काम नही मिलता।

अभी कुछ दिन पहले मैं भी मजदूर बना था तपती गर्मी से बेहाल था हिम्मत खड़े होने तक की भी नही थी तब मैंने मजदूर के दर्द को जाना।
मजदूर लोग कारखानो आदि में काम करते है पर उन्हें पर्याप्त मजदूरी नही मिलती। उन्ही मजदूरो की वजह से फैक्ट्री का मालिक अरबो का मालिक बन जाता है।
पर शायद उसे ये पपता नही होता जिन रुपयो से वह ऐश कर रहा है। उन रुपयो में एक मजदूर का खून मिला है पसीना मिला है। और उसका दर्द भी मिला है।।
कब समझेगे ये लोग मजदूरो की पीड़ा को उनकें दर्द को। शायद वे तभी समझेगे जब वे  तपती धुप में ठंडी की हवाओ में कभी क करेगे तब उन्हें पता चलेगा

मजदूर का दर्द

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