कौन कहता है आसमा में छेद नही हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो
कुछ लोग तो इसलिए भी पत्थर नही उछालते की कही आसमान में बड़ा छेद हो गया तो मुसीबत हो जायेगी सारा पानी एक जगह गिर जायेगा
ऐ तो मजाक की बात है
सही बात आगे है
ऊपर जो लाइन लिखी गयी है ओ जिसने भी लिखी है सोच समझ कर लिखी है क्योकि
बिना मेहनत के ज्ञान और बिना तपस्या के भगवान नही मिल सकते
कुछ करने के लिए इंसान के अंदर जूनून हौशला होना जरुरी है जो अपने सपनो को पूरा करने के लिए जी जान लगाकर सुख चैन त्याग कर पूरी निष्ठा और लगन से मेहनत करते है वे जरूर सफल होते है।
क्योकि
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती।
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। जीवन में कुछ पाने की ललक है तो मेहनत करनी पड़ेगी। परिश्रम करो और परिश्रम करो और परिश्रम करो परिश्रम करने में किसी से पीछे मत रहो।
बहुत से ऐसे लोग आज भी हमारे बीच मौजूद है। जिन्होंने अपने अथक परिश्रम के दम पर अपने सपने को सच कर दिखाया है। वे अपने सपने को पूरा कर पाये क्योकि उन्होंने अपने जीवन में अपने सपने को पूरा करने का प्रण कर लिया था वे सोते थे तो सपने के साथ जागते थे तो सपनो के साथ चलते थे तो सपने के साथ मतलब उनका सपना उनकी जिंदगी का लक्ष्य बन गया था। जिसे वो किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहते थे। वो उनके खुद के सपने की दीवानगी थी जिसके लिए वे पूरी तरह से उसी के लिए समर्पित हो गए थे। क्रिकेट जगत के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस ब्यक्ति ने अपने सपने को पूरा किया क्योकि उनके सपने ही उनकी जिंदगी का एकमात्र लक्ष्य था। आज शोहरत की इतनी उचाई पर पहुच कर भी उस इंसान ने कभी घमण्ड नही किया। एक और उदाहरण अरुणिमा का है जो अपने एक पैर के सहारे दुनिया की सबसे उची चोटी माउन्ट एवरेस्ट को फतह किया रास्ते में कई मुश्किलें आयी बर्फीले तुफानो ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की पर उनके हौसले जूनून के सामने सब बौने नजर आये। यही है सपनो के प्रति समर्पण सपनो की दीवानगी।
ऐसी ही दीवानगी मैंने अपने एक फ्रेंड के अंदर भी देख रहा हु जिसका सपना क्रिकेटर बनने का है। जो अपने सपने के प्रति पूरी तरह से समर्पित है। जिसमे लगन भी है और सपने को पूरी करने की ललक भी। वो अपने सपने के साथ ही जी रहा है। एक तरह से उसके अंदर मैंने उस इंसान को देखा है जो अपने सपने के प्रति पूरी ईमानदारी से पुरे लगन और मेहनत के साथ जुटा हुआ है। पर अभी मंजिल दूर है उसे अभी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। और उसे ऐ बात पता होनी चाहिये की मेहनती परिश्रमी ब्यक्ति कभी हारता नही।
कैलाश खेर का ये गीत
क्यू तड़पता है तू बन्दे जल्द ही बदलेगा मंजर
झाक ले एक दफा तू फिर से अपने दिल के अंदर
तुझमे भी ओ बात है तेरी भी औकात है
तू भी बन सकता है सिकन्दर।
और आप तो विश्वविजेता सिकन्दर को जानते ही होंगे।
कभी कभी इंसान जब सफल हो जाता है तो ओ खुद पर घमण्ड करने लगता है जो अच्छी बात नही है। उचाई पर पहुचने पर न घमण्ड करो न नीचे आने पर शर्म करो। घमण्डी का सर हमेशा नीचे होता है ।
रावण जैसा ज्ञानी पराक्रमी कोई न था पर उसका घमण्ड उसे उसके पतन की तरफ ले गया ।
जीवन में सफल होने का मन्त्र यही है।
मेहनत करो परिश्रम करो। भोग बिलास नशा घमण्ड से दूर रहो।
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