दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जिसमे इमोशन भी है और प्यार भी। दर्द भी है और ख़ुशी भी।
दोस्ती हमारा हाथ थाम हमे इस बात का अहसास दिलाती है की इस दुनिया में हम अकेले नही है। और भी कोई है जो हर कदम पर हर मोड़ पर हमारा साथ देगा।
किसी भी रिश्ते की नीव बिश्वास पर टिकी होती है दोस्ती भी विश्वास का ही रिश्ता है। जो नसीब वालो को मिलता है। दोस्त तो सब के पास होते है। पर नकाब पोश और स्वार्थी। सच्चे दोस्त नसीब वाले को मिलते है।
माँ बाप भाई बहन आदि रिश्ते तो हमे जन्म से मिलते है पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसे हम खुद बनाते है।
कुछ दोस्त घर के आस पास बनते है कुछ स्कुल में कुछ रास्ते चलते भी बनते है। औरो का तो पता नही पर कॉलेज की दोस्ती जिंदगी का एक हिस्सा बन जाती है मौज मस्ती पढ़ाई हँसी मजाक उस पल का हिस्सा होता है। और जब एक दिन दोस्तों से हम बिछड़ जाते है तब उनकी बहुत याद आती है ये आज की बात नही क्योकि आजकल के लोग तो मोबाईल और फेसबुक आदि से जुड़े रहते है। बात 7 साल पहले की है जब मोबाईल इतना नही चलता था। तब दोस्त बिछड़े तो मिलेगे या नही इसकी कोई गारंटी नही
मैं उस दौर का हिस्सा था। मेरे स्कुल के दोस्त बिछड़े पर आज तक एक दो को छोड़कर कोई नही मिला।
उनकी याद तो बहुत आती है। मैंने उन्हें बहुत ढूढा फेसबुक गूगल वाट्सअप जीमेल हॉटमेल पर किसी का कोई पता नही चला।
दोस्तों की अहमियत उनके चले जाने के बाद पता चलती है। उसे मैंने जाना है।
ये तो हुई कॉलेज की दोस्तों की दास्ताँ।
मेरे कुछ दोस्त घर के अगल बगल के है। पर खास तो एक दो ही होते है। मेरे खास दो दोस्त है। मैं उनमे ही अपनी पूरी दुनिया पाता हु वे दिल के बहुत ही अच्छे है। क्योकि उन्हें हमेशा मेरी चिन्ता लगी रहती है। एक दोस्त का दर्द दोस्त ही जानता है। ये मैंने जाना है।
दोस्ती बड़े काम की चीज है इसे सम्भाल कर रखना चाहिए। ऐ रिश्ता नाजुक डोर से बधा होता है इसे सजो कर रखना चाहिए।
दोस्ती हर मोड़ पर दुनिया के हर आखिरी छोर पर साथ देने का नाम है।
दोस्ती इन्तहान लेती है
दोस्तों की जान लेती है
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