मांझी- द माउंटेन मैन
शानदार जबरजस्त जिंदाबाद।
आज मैंने ऐ फ़िल्म देखी इस फ़िल्म की कहानी दिल को छु गयी ।
ये कहानी संघर्ष की है।
ये कहानी प्यार की है
ये कहानी मेहनत की है
ये कहानी हौसले की है।
ये कहानी हमे बताती है की अगर मन में कुछ करने की इच्छा है सच्ची लगन है। तो कोई भी काम मुश्किल नही होता।
ये कहानी गरीबो पर होते अत्याचार को बताती है। किस तरह गरीबो को बन्धुआ मजदूर बन कर रहना पड़ता है। वे मरे जिए कोई फर्क नही पड़ता।
ऐसी ही घटना हर जगह हर गरीब के साथ होती है । सरकार यदि कोई योजना या मदद देती है तो उन्हें अमीर लोग गटक जाते है।
गरीब क्या करे उसकी आवाज दिल्ली तक नही पहुच सकती।
मांझी ने अपने प्यार की खातिर पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बना दिया ।
उनके इस काम में भी बहुत सी रुकावटे आई पर उनके हौसले और हिम्मत के आगे सब हार गयी।
आजादी के इतने साल बीत गए हम आजाद हुए लेकिन गरीबो को आज भी अमीरो की गुलामी करनी पड़ती है। उनका हक मारा जाता है उन्हें जलील किया जाता है।
आखिर क्यों
वे भी तो इंसान है उन्हें भी जीने का हक है।
हम आज भी पीछे है क्योकि हमारे यहाँ उच नीच जात पात की दिवार है। हम अपने स्वार्थ में इतने अंधे हो चुके है की हम इंसानियत को भुला बैठे है।
मांझी ने ये सन्देश दिया है।
आप ऊपर वाले के भरोसे मत बैठिये
क्या पता ऊपर वाला आपके भरोसे बैठा हो।
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