अभी सुबह सुबह दो मुस्लिम मौलवी हाथो में चादर लिए सड़क पर चल रहे थे साथ में उनका गाना बज रहा था। सभी लोग कुछ न कुछ पैसे उस झोली में डाल रहे थे। जिनमे ज्यादा से ज्यादा हिन्दू लोग थे जो उन्हें पैसे दे रहे थे और चादर को माथे से लगा रहे थे।
मैंने इसलिये नही दिया क्योकि जब हम दुर्गा पूजा की आरती मुस्लिमो के पास ले जाते है तो वे पैसे तो दूर उसे दूर से ही मना कर देते है।
पर मेरा मन बार बार यही कह रहा था की उठो और उन्हें कुछ पैसे दे दो ।
क्यों कह रहा था मेरा मन
शायद मैं हिन्दू हु
और हिन्दू सभी धर्मो का आदर करता है
शायद हमारे संस्कार ऐसे ही है
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