अब मर जाने को दिल करता है

बहुत सह लिए दंश गरीबी का बहुत सह लिए तंज अमीरी का अब सब छोड़ उड़ जाने को जी करता है अब मर जाने को जी करता है भूखे नंगे जीते थे पानी केवल पीते थे अब न खाने को जी करता है अब मर जाने को जी करता है अपनों ने है आग लगाई गैरो ने क्या खूब निभाई अब न तड़पने को जी करता है अब मर जाने को जी करता है है मर्ज अजीब गरीबी का जो न छोड़े साथ किसी का गरीबी को मारने को जी करता है अब मर जाने को जी करता है दर्द भरी इस दुनिया में कौन है अपना कौन पराया जिसने दिया जन्म उसने भी नही निभाया बिछड़ों से मिलने का जी करता है अब मर जाने को जी करता है पर्वत भी टूट रहे है हम तो है इंसान तरस क्यू नही खाता ऊपर बैठा भगवान अब तेरी दुनिया में नही रहने का मन करता है अब मर जाने को दिल करता है

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