आप ने बहुत सी कहानिया पढ़ी होगी बहुत सी फिल्में भी देखी होगी। पर क्या आपको पता है ओ कहानी और फ़िल्म में दिखाई जाने वाली कहानी को लिखना कोई मामूली काम नही होता।
जो कहानी आप दो घण्टे में देखकर चले जाते हो उसे लिखने में महीनो सालो लग जाते है।
मैंने भी कई कहानिया लिखी है। जब मैंने लिखना शुरू किया तब मुझे पता चला की कहानी लिखना कितना मुश्किल होता है।
मैं कहानिया लिखता पर वे मुझे जमती नही थी कहानी अपनी पसन्द के साथ साथ दुसरो की भी पसन्द को ध्यान में रखकर लिखनी चाहिये इसलिये मै हमेशा अच्छी से और अच्छी कहानी लिखने की कोशिश करता।
मैंने एक दिन अख़बार में एक लेख पढ़ा जो लेखक पर लिखा गया था।
लेखक एक परिपूर्ण इंसान होता है जो अपनी रचनाओ में कई जिंदगियो को एक साथ जीता है।
यह एकदम सत्य बात थी। क्योकि मैंने उसे अनुभव किया अपनी कहानियो में।
अपनी कहानी में मैं ही हीरो था और मैं ही विलेन।
मैं वार करता और मैं ही वार सहता। मैं उसका अतं करता और मैं ही खत्म हो जाता।
आज के समय में एक जिंदगी जीना ही बोझ लगती है पर कहानी में हम कई जिंदगियो को साथ जीते है।
कहानी मेरा शौक था और जूनून भी क्योकि मैं अमर होना चाहता था । और मैं ऐ जानता था की कल को मै इस दुनिया में रहु या न रहूँ लोगो के बीच मेरी कृति हमेशा मेरी पहचान बन कर जिन्दा रहेगी।
तो मैं लग गया अपनी कल्पना को पंख देने और मैं उड़ चला उस कल्पना के अनन्त आकाश में अपनी रहस्य रोमांचकारी दुनिया में जहा मेरा राजा था जहा की रचना मैंने की जहा की दुनिया मैंने बसायी जहा के लोगो को मैंने बनाया जहा दुनिया मेरे इशारो पर चलती थी जहा का सूरज मेरे मन से उगता अस्त होता था।
सच है की लेखक परिपूर्ण इंसान होता है जो आदि है अनन्त भी है।
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