कहते है फिल्में समाज का आईना होती है। मैंने गदर देखी जिसमे बटवारे का दर्द दिखता है। मुसलमान हिन्दुओ को मार कर किस तरह ट्रेनों मे भरकर हिन्दुस्तान भेज रहे थे। ये फिल्म तो काल्पनिक थी। लेकिन कहीं न कहीं सच्चाई भी रही होगी। बटवारे के उस दर्द को उस दर्द को झेल चुके लोग बया करते है तो रोंगटे खड़े हो जाते है।
लोग कहते है जो आज मुसलमान है वे पहले हिन्दू थे। पर उनका कृत्य देखकर मुझे तो ऐसा नही लगता। क्योकि हिन्दू कभी भी इतना बेरहम नही हो सकता।
बात कुछ भी हो पर वो कैसी रात रही होगी वो कैसा दिन रहा होगा जब हमने अपनो को खोया रहा होगा।
आज भी हम पाकिस्तान से दोस्ती की बात करते है पर उस पाकिस्तान ने हमेशा हमे दर्द दिया है तकलीफ दि है। बटवारे मे हिन्दुओ को भेड़ो बकरियो की तरह मारा। उसके बाद काबाइलियो को लेकर जम्मू कश्मीर पर हमला बोल दिया वह रात विजयदशमी की थी। जब लोग जश्न मना रहे थे उसी समय जिन्ना शैतान ने कबाइलियों के साथ हमला कर दिया जिसमे बहुत से लोग मारे गए अंत मे हताश होकर राजा हरी सिंह ने जम्मू कश्मीर का विलय हिन्दुस्तान मे किया।
पाकिस्तान ने हम पर कई हमले किये पर हर बार हम ने सारे गिले सिकवे मिटा कर दोस्ती का हाथ बढ़ाया पर हर बार पाकिस्तान ने हमे दर्द दिया है।
बात यही खत्म नही होती क्या इस्लाम धर्म यही कहता है मारो काटो।
देखकर तो यही लगता है ।
आजकल बगदादी को देखकर जो लोगो को बेरहमी से काट डालता है बड़ो को छोड़ो उन मासूम बच्चों को क्यो मारा जो ये भी नही जानते थे की ओ किस धर्म के है। क्या कोई धर्म लोगो की जान लेने को कहता है।
बगदादी तो अपने ही मजहब के लोगो को मार रहा है और ओसामा बिन लादेन य फिर कोई भी आतंकवादी हो वह मुसलमान ही क्यो होता है। क्या यही इस्लाम कहता है लोगो को मारना आतंक फैलाना। शायद मुसलमान ऐसे ही होते है जिनमे न तो दर्द होता है न प्रेम न आँसू।
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