जिस प्रकार स्वतन्त्रता दिवस के दिन लोग तिरंगा फहराते है और दूसरे दिन भूल जाते है
उसी प्रकार आज मदर्स डे पर लोग मा को याद कर रहे है और उसके बाद भूल जायेगे
गाँव मे तो नही हा शहरों मे मैंने देखा है जो अमीर लोग होते है वे अपने बूढे मा बाप को बृद्धा आश्रमो मे छोड़ देते है
बृंदाबन मे ऐसी बहुत सी बदनसीब माए है जिनको उनके ही बेटो ने उन्हें घर से निकाल दिया है
इनकी आखो मे दर्द है दुख है पर फिर भी ये अपनी सन्तानो की सलामती की दुआ मांगती है।
ये बदनसीब माए अमीर घरो से होती है गरीब परिवार से नही क्योकि लोग गरीब ही सही पर इतने गरीब भी नही की अपनी जीवन देने वाली माँ का बोझ न उठा सके।
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