रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार

रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार से पूरा भारत त्रस्त है
कुछ दिनों पहले मैं एक प्राइवेट अस्पताल मे गया था। वहा लोग नम्बर लगा के बैठे थे बुलाने वाला एक एक करके बुला रहा था। जिसको जल्दी होती थी वह 100 रुपये देकर आगे चला जाता था । नम्बर लगाने वाले इंतजार करते रहे कोई फर्क नही पड़ता। यही नही यदि कोई नई खूबसूरत औरत जाकर उस नम्बर वाले से बात करती तो वह उसे भी जल्दी भेज देता था और अपना नम्बर भी दे देता था कहता था की कभी भी आने से पहले फोन लगाकर नम्बर लगवा लेना।
आलम ऐ है अगर आप के पास पैसा है तो आप कुछ भी पा सकते है। और अगर पैसा नही तो लगे रहो लाइन मे क्योकि हमारे पास देने को रिश्वत नही या फिर जितने की हम रिश्वत देगे उतने का घर मे तीन दिन की सब्जी आ जायेगी।
ये तो रहा प्राइवेट अस्पताल का हाल
अब सरकारी अस्पताल की बात करते है
एक रुपये की पर्ची कटाये नम्बर लगा कर इंतजार करिये।
जिनको जल्दी हो वे 100 रुपए पर्ची मे लपेट कर डॉक्टर को दे दे नही तो लगे रहो लैं मे।
कुत्ते का इंजेक्शन फ्री मे लगता है पर आप को तब तक नही मिलेगा जब तक आप खर्चा नही करोगे।
सरकारी अस्पताल मे गरीब लोग ही अधिकतर जाते है वे रिश्वत कहा से दे उनके पास दवा का पैसा नही होता रिश्वत कहा से दे।
और ऐ डॉक्टर भी बिना रिश्वत के कोई काम नही करते ।
दोषी कौन है
रिश्वत देने वाले
या लेने वाले
या फिर हमारा शासन

टिप्पणियाँ