मानव मस्तिष्क एक अनसुलझी पहेली इस पोस्ट का शीर्षक यही है क्योंकि मैंने जहां तक जानने की कोशिश की कि दिमाग किस तरह काम करता है मैं इसमें उड़ता चला गया दिमाग ब्रह्मांड की तरह है जिसका कोई ओर छोर नहीं है
जिस तरह ब्रह्मांड अनंत है जिसका कोई अंत नहीं है उसी प्रकार दिमाग भी अनंत रही बात मानव मस्तिष्क की सौ परसेंट सोचने की क्षमता की तो उसे विकसित करने के लिए योग ध्यान और ब्रह्मचर्य की आवश्यकता है मैंने वेदों को पढ़ा तेजा ना पुराने समय में ऋषि मुनि कितने ज्ञानी हुआ करते थे दिव्य वक्ता होते थे आज जो हालात हैं उनके अनुसार इंसान 15 परसेंट से ज्यादा दिमाग इस्तेमाल नहीं कर सकता जिस प्रकार विज्ञान कहता है की हम बंदरों से उत्पन्न हुए हैं धीरे-धीरे जिन अंगों का हमने प्रयोग करना बंद कर दिया विलुप्त होते गए उसी प्रकार हमने दिमाग की क्षमता का जो हिस्सा प्रयोग करना बंद कर दिया विलुप्त हो गया यह कठिन है पर असंभव नहीं मैंने इसे कई लोगों के बारे में पढ़ा जिनका दिमाग अ नया व्यक्तियों की अपेक्षा तीव्र था पर वे कुछ समय में अपना दिमागी संतुलन खो दिया जो एक ऐसा उदाहरण है कि हमारा दिमाग हैंग हो जा रहा है जिस पर बारे में अत्याधिक प्रेशर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है इसी वजह से ऐसा हो रहा है डॉल्फिन एक ऐसा प्राणी है जो अपने दिमाग का 20% यूज कर लेती है जहां तक रही हम मानवों की बात पुराने समय में कुछ ऐसे लोग थे जिनका दिमाग 100% काम करता था पर धीरे-धीरे या लुप्त होती गई कुछ लोग ऐसे मिलते हैं जिनका दिमाग तेज होता है पर आगे चलकर वे अपना संतुलन खो देते हैं आगे की जानकारी मैं आगे देता रहूंगा खोज जारी है
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